Tuesday, April 6, 2010

लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार क्यूँ होते हैं?

बलात्कार (रेप) के मुख्य कारण यहाँ मैं बता रहा हूँ ! दोषी कौन की चर्चा बाद में :१) पुरुषों को सेक्स की अनुपलब्धता : आज शादी (सेक्स के लिए सामाजिक तौर से स्वीकृत तरीका) के लिए इतनी सारी शर्तें हैं (पढाई, जॉब, मकान, सोशल स्टेटस, जाति, धर्म) और ऊपर से लड़कियों की घटती संख्या, जाहिर है कुछ पुरुष तो अवश्य ही अकेले (कुंवारे) रह जाते हैं ! दुसरे कुछ लोग जॉब या अन्य कारणों से परिवार से दूर रहते हैं और उन्हें अपनी शारीरिक जरूरत पूरी करने का मौका नहीं मिलता ! (२) सेक्स प्राप्ति का दूसरा तरीका (रंडिया/ कॉल गर्ल) सभी अफ्फोर्ड नहीं कर सकते, कुछ बीमारी के डर से नहीं जाते वहां, कुछ समाज में किसी को पता चल गया तो नाक कट जायेगी- ऐसा सोच कर नहीं जाते ! ऐसे में फ्रस्ट्रेशन हो जाती है और सभी उस पर काबू नहीं कर पाते और यह गुनाह कर बैठते है !(३) एक अन्य कारन जो मुझ लगता है -संचार विच्छेद (कम्युनिकेशन गैप) - पुरुष-स्त्रियों के बीच साधारण संबंधों को भी पुरुष विशेष मानने लगते हैं - ऐसा मानते हैं की अगर यह स्त्री /लडकी मेरे साथ आ जा रही हैं, हंस बोल रही है, खा रही हैं, सिनेमा देख रही है तो इसको मुझसे प्यार है और पुरुषों को प्यार में सेक्स दिखाई दे ही जाता है ऐसे में कभी जब पुरुष इसकी (सेक्स) फरमाइश / कोशिश करता है तो जाहिर है स्त्री मना कर देती है ! फिर इससे पुरुष का बड़े से ईगो को ठेस पहुँचती है, वो इसको बड़ा धोखा समझता है और जबरदस्ती (बलात्कार) पर उतारू जाता है !(४) कुछ पुरुष दिल ही दिल में किसी लडकी/स्त्री को प्रेम करते हैं लेकिन किसी कारण से कभी कह नहीं पाते और कभी कभी यह अनकहा प्रेम इतना विवेकहीन बना देता है उनको की जैसे ही मौका लगता है वो बलातकार कर डालते हैं - "हासिल" करने का यही तरीका दिखाई देता है उनको !(५) ऐसी अवस्था (पुरुष की कामंधता) में आजकल स्त्रियों का चलन, फैशन और अंग-दिखाऊ वस्त्र, अश्लील सामग्री, लेट-नाईट, बार- डिस्को संस्कृति रही सही कसर भी पूरी कर देते हैं और ये हो ही जाता है !ऐसा अनमान है की सिर्फ १०-२० प्रतिशत बलात्कार ही नज़र/ खबर में आते हैं !इसके लिए दोषी कौन है ?केवल स्त्री-या केवल को पुरुष को दोष नहीं दिया जा सकता ! सामाजिक व्यवस्था भी इसमें बराबर की दोषी है ! स्त्रियों के प्रति यौन-अपराध रोकने के लिए कुछ कदम /बदलाव सही दिशा में होने चाहिए - जैसे शादी के नियमो में थोड़ी ढिलाई, अन्य साधन (रंडीखाना) को वैधता देना, और उनको सम्मान, कानूनी, सामजिक संरक्षण और स्वास्थय सेवा प्रदान करना और रंडियों के पास जाकर अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ती को हेय/ अनैतिकता की द्रष्टि से न देखना, स्त्रियाँ भी पुरुषों से अपने सम्बन्ध के विषय में शुरू से ही साफ़ साफ़ कहें की उनका सम्बन्ध क्या है - वे इस सम्बन्ध को क्या मानती हैं - थोडा सा नियंत्र अपनी वेशभूषा और देशकाल भ्रमण (लेट नाईट बार, डिस्को) पर खुद ही रखें तो ऐसा कभी नहीं होगा !आदि -

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